1. प्रकृति का पहला नियम : यदि खेत में बीज न डालें जाएं, तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती है !! ठीक उसी तरह से दिमाग में अगर सकारात्मक विचार न भरे जाएँ, तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं !!
2. प्रकृति का दूसरा नियम : जिसके पास जो होता है, वह वही बांटता है !!• सुखी सुख बांटता है !!• दुःखी दुःख बांटता है !!• ज्ञानी ज्ञान बांटता है !!• भ्रमित भ्रम बांटता है !!• भयभीत भय बांटता हैं !!
3. प्रकृति का तीसरा नियम : आपको जीवन में जो भी मिले, उसे पचाना सीखो क्योंकि -• भोजन न पचने पर, रोग बढ़ते हैं• पैसा न पचने पर, दिखावा बढ़ता है• बात न पचने पर, चुगली बढ़ती है• प्रशंसा न पचने पर, अंहकार बढ़ता है • निंदा न पचने पर, दुश्मनी बढ़ती है• राज़ न पचने पर, खतरा बढ़ता है• दुःख न पचने पर, निराशा बढ़ती है• सुख न पचने पर, पाप बढ़ता हैं। यही जीवन के सत्य हैं
2. प्रकृति का दूसरा नियम : जिसके पास जो होता है, वह वही बांटता है !!• सुखी सुख बांटता है !!• दुःखी दुःख बांटता है !!• ज्ञानी ज्ञान बांटता है !!• भ्रमित भ्रम बांटता है !!• भयभीत भय बांटता हैं !!
3. प्रकृति का तीसरा नियम : आपको जीवन में जो भी मिले, उसे पचाना सीखो क्योंकि -• भोजन न पचने पर, रोग बढ़ते हैं• पैसा न पचने पर, दिखावा बढ़ता है• बात न पचने पर, चुगली बढ़ती है• प्रशंसा न पचने पर, अंहकार बढ़ता है • निंदा न पचने पर, दुश्मनी बढ़ती है• राज़ न पचने पर, खतरा बढ़ता है• दुःख न पचने पर, निराशा बढ़ती है• सुख न पचने पर, पाप बढ़ता हैं। यही जीवन के सत्य हैं
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